कांग्रेस के झूठ की पोल हिमाचल प्रदेश में खुली, 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को सेलरी देने के लिए पैसे नहीं

कांग्रेस के झूठ की पोल हिमाचल प्रदेश में खुली, 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को सेलरी देने के लिए पैसे नहीं

Congress' lies exposed in Himachal Pradesh

Congress' lies exposed in Himachal Pradesh

झूठे वादों को  पूरा करने के चक्कर में वित्तीय संकट में फंसी हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार 

पुराना कर्ज चुकाने के लिए लेना पड़ रहा है नया कर्ज

कर्मचारियों और सेवानिवृत कर्मचारियों की राज्य सरकार पर 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया है

चंडीगढ़, 3 सितंबर। Congress' lies exposed in Himachal Pradesh: कांग्रेस झूठे वादे करने में माहिर पार्टी है। लोगों को भ्रमित करके सत्ता पर कब्जा करना ही कांग्रेस की फितरत रही है। हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने कई बड़े वादे किए जिस कारण आज हिमाचल की कांग्रेस सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार, राज्य के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई। कांग्रेस के झूठे वादो की पोल हिमाचल प्रदेश में खुल गई है। 

हिमाचल प्रदेश पर फिलहाल 94 हजार करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज है। वित्तीय बोझ से संकट में आई सरकार की स्थिति काफी दयनीय और कमजोर हो गई है। राज्य सरकार को पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। वित्तीय संकट के कारण राज्य सरकार के कर्मचारियों और सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार पर 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया है। 

हिमाचल प्रदेश में लोगों से झूठ बोलकर कांग्रेस ने सत्ता तो हथिया ली, लेकिन अब वही झूठ कांग्रेस को भारी पड़ रही है। कर्मचारियों की सेलरी का भुगतान ना कर पाने के कारण सरकार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों को आज भी सैलरी-पेंशन न मिलने के आसार दिख रहे हैं। कांग्रेस की झूठ का खामियाजा सरकार के कर्मचारी भुगतने के लिए मजबूर हो रहे हैं जिनसे उनके परिवार पर भी असर पड़ रहा है। 

2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए जनता से बड़े-बड़े वादे किए और उन वादों को पूरा करने के लिए काफी खर्चा किया। अब आलम यह है कि सरकार वित्तीय संकट में आ गई है। हिमाचल सरकार के बजट का 40 फीसदी तो सैलरी और पेंशन देने में चला जाता है और लगभग 20 प्रतिशत कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है।

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